Top 10 moral stories in Hindi, बच्चों को नैतिक शिक्षा देने वाली 10 super कहानियां

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Top 10 moral stories in Hindi: आज का समय जहां इंटरनेट और मोबाइल का चलन बहुत ज्यादा है। इस सिचुएशन में अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा देना बहुत ही कठिन हो गया है। लेकिन बच्चों में आज भी एक चीज फेवरेट है, और वह है किसी भी चीज को किसी भी बात को कहानी के रूप में सुनना। हम अपने बच्चों को एक कहानी सुना कर उनके अंदर नैतिक शिक्षा का प्रभाव डाल सकते हैं, इसके लिए जरूरी है कि एक अच्छी नैतिक कहानी हमारे पास मौजूद हो। आज मैं आपके सामने 10 ऐसी ही नैतिक शिक्षा देने वाली कहानियां प्रस्तुत कर रहा हूं, जिन्हें आप अपने बच्चों को जरूर सुनाएं।

Top 10 moral stories in Hindi

Top 10 moral stories in Hindi

Top 10 moral stories in Hindi: अगर हम छोटे बच्चों को शुरू से ही सही शिक्षा प्रदान करें तो आगे उनका भविष्य काफी अच्छा हो सकता है, यह बात आप भी जानते हैं और मैं भी अच्छे से समझता हूं। मैं यह आर्टिकल इसलिए नहीं लिख रहा हूं कि मुझे इस आर्टिकल से पैसे कमाने हैं, दरअसल मैं यह चाहता हूं कि हर माता-पिता अपने बच्चों को मोरल स्टोरीज सुना कर उनको नैतिक शिक्षा सिखा सकते हैं। क्योंकि बच्चे की सबसे पहली शिक्षक माता ही होती है तो मैं चाहता हूं कि यह आर्टिकल भारत की प्रत्येक माता के पास पहुंचे और वह इस आर्टिकल Top 10 moral stories in Hindi को अच्छे से पढ़ ले। 1

1. शेर और चूहे की नई कहानी

शेर और चूहे की नई कहानी

“शेर और चूहे” की कहानी बच्चों के बीच प्रसिद्ध है और इसमें एक मोरल संदेश छिपा होता है। यहां एक संक्षिप्त सारांश है:

एक बार की बात है, एक जंगल में एक शेर और एक चूहा रहते थे। शेर बड़ा और शक्तिशाली था, जबकि चूहा छोटा और कमजोर था।

एक दिन, शेर अपनी ताक़त की तारीफ़ कर रहा था और उसने चूहे को अपनी दबंगाई के बारे में बताया। शेर ने घमंड से कहा, “मैं इस जंगल का बादशाह हूँ, सभी जानवर मेरी सेवा करते हैं।”

चूहे ने समझदारी से कहा, “आप बड़े और ताक़तवर हो सकते हैं, लेकिन मैं लेकिन मैं भी कोई चीज हूं. शेर कोई अपनी जगह काम आती है और तलवार अपनी जगह काम आती है मैं भी आपको मात दे सकता हूं।”

शेर ने इस पर हंसते हुए कहा, “तू? क्या तु मुझे मात दे सकता है, हंसते हुए हा हा हा।”

चूहे ने शेर से कहा “तो चलो लगा ले शर्त।”

चूहे ने अपने आप को एक मजबूत खोपड़ी के अंदर अपने आप को छुपा लिया। और शेर से बोला “शेर अब मुझे मार कर दिखा।”

शेर उस छोटी सी खोपड़ी की ओर जा पहुंचा, लेकिन अपने बड़े आकार की वजह से वह वहाँ नहीं पहुंच सका जहाँ चूहा छिपा था। शेर ने खोपड़ी को काफी इधर-उधर पटका लेकिन न तो खोपड़ी फूटी और ना ही चूहा बाहर निकला।

थोड़ी देर बाद शेर ने तंग आकर हार मान ली।

चूहा खोपड़ी के अंदर से बाहर निकला और चूहा ने हंसते हुए कहा, “देखा, मैंने आपको बताया था कि एक छोटी सी चीज भी महत्वपूर्ण हो सकती है।”

कहानी से सिख: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए और हर व्यक्ति का महत्व समझना चाहिए, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। हमें दूसरों की बातों को समझने और समझाने का प्रयास करना चाहिए।

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2. लालची कुत्ते की कहानी

यह एक कहानी है जो हमें लालच की बुराई और उसके परिणामों के बारे में सिखाती है। नीचे पढ़ें-

गांव में एक लालची कुत्ता रहता था। वह दिन-रात बस खाने की तलाश में था। एक दिन, उसके सामने एक बड़ी हड्डी आई। उसने सोचा कि वह इस हड्डी को खाकर अपनी भूख मिटा सकता है।

लालची कुत्ता ने जल्दी में हड्डी को पकड़कर दौड़ना शुरू किया। वह एक पुल पार करने की ओर बढ़ रहा था, लेकिन जैसे ही वह पुल पर पहुँचा, उसने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा।

उसकी आँखों में आया कि पानी में एक और कुत्ता है, जिसकी हड्डी उसकी हड्डी से भी बड़ी दिखती है। लालच से भरपूर, वह कुत्ता उस पानी में दिखते दूसरे कुत्ते की हड्डी को भी चुराने की कोशिश करने लगा और उसे डराने के लिए भोकने लगा!

परंतु जैसे ही वह भोकने लगा, तुरंत ही उसने अपनी हड्डी को पानी में गिरा दिया। और अब उसने अपने लालच की वजह से अपनी हड्डी भी खो दी, जिसका अर्थ है कि उसे खुद की भी भूख मिटाने का एक उपाय नहीं बचा।

कहानी से सिख: यह कहानी हमें लालच के दुष्प्रभाव और उनके परिणामों को समझाती है। यह हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी भूख की पूर्ति के लिए दूसरों की चीजों की चोरी नहीं करनी चाहिए और लालच के बल पर विचारहीन काम नहीं करना चाहिए।

3. बंदर और टोपी बेचने वाले की कहानी

एक बार एक टोपी बेचने वाला था। वह एक रास्ते से गुजर रहा था। काफी ज्यादा धूप होने के कारण टोपीवाला थक गया था। आराम करने के लिए वह एक पेड़ के नीचे बैठा, लेकिन उस पेड़ के ऊपर एक शरारती बंदर था। टोपी बेचने वाले की आंख लग गई।

जब टोपीवाला नींद से उठा तो उसकी एक टोपी गायब थी। उसने इधर उधर देखा तो ऊपर बंदर के पास उसकी टोपि मौजूद थी।

बंदर से टोपी वापस लेने के लिए उसने एक योजना बनाई। टोपी वाले ने अपने सिर पर एक टोपी पहनी। उसकी नकल करते हुए बंदर ने भी उस टोपी को सिर पर पहना। उसके बाद टोपी वाले ने टोपी को जमीन पर फेंका तो बंदर ने भी टोपी को जमीन पर फेंक दिया।

इस तरह से टोपी वाले को उसकी टोपी वापस मिल गई।

इस कहानी से एक महत्वपूर्ण सीख मिलती है कि हमें बुद्धिमता से काम लेना चाहिए और समस्याओं के समाधान के लिए नए और नैतिक तरीकों को सोचना चाहिए। यह भी दिखाता है कि अक्सर हमारी समस्याएं उसी समय हल हो सकती हैं जब हम उन्हें नए दृष्टिकोण से देखते हैं।

4. लोमड़ी और अंगूर की नई कहानी

एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी थी। लोमड़ी ने अंगूर से लथपथ एक पेड़ देखा। लोमड़ी का अंगूर खाने के लिए जी बहुत ललचा रहा था, उसने अंगूर खाने के लिए बार-बार छलांग लगाई लेकिन अंगूर थोड़े ऊंचे थे और लोमड़ी अंगूरों तक पहुंच नहीं पा रही थी। बार-बार प्रयास करने के बाद भी जब लोमड़ी के हाथ कुछ नहीं लगा तो उसने खुद को संतुष्टि दिलाने के लिए अंगूरों की तरफ देख कर कहा “अंगूर तो खट्टे हैं मैं खा कर क्या करूंगी”।

नैतिक शिक्षा-यह कहानी हमें यह नैतिक शिक्षा देती है कि जब हम किसी चीज को पाने में असमर्थ होते हैं तो हम उसी में कोई कमी निकाल देते हैं

5. खरगोश और कछुए की कहानी

यह कहानी बहुत पुरानी है। इस कहानी में खरगोश है जिसे अपनी तेज रफ्तार का बहुत घमंड है जब भी वह दौड़ता है अंदर से अति विश्वासी महसूस करता है। वह घमंड में आकर कछुए को अपने साथ दौड़ प्रतियोगिता करने के लिए चुनौती देता है।

दौड़ के दौरान खरगोश कछुए से आगे निकल जाता है, लेकिन रस्ते में थकान की वजह से वह सोचता है कि थोड़ी देर आराम कर लेता हूं कछुआ तो बहुत पीछे होगा।

खरगोश को नींद आ जाती है और कछुआ धीरे धीरे चलते हुए आगे निकल जाता है और दौड़ जीत जाता है।

नैतिक शिक्षा-कभी-कभी गति से ज्यादा स्थिरता और दृढ़ता काम में आती है.

6. चींटी और मक्खी की कहानी

चींटी और मक्खी की कहानी बच्चों को भविष्य में आने वाली चुनौतियों से लड़ने की शिक्षा देती है।

कहानी इस प्रकार है कि गर्मियों का समय था और चींटी और मक्खी और दोनों को ही गर्मी बहुत ज्यादा लग रही थी लेकिन चींटी को पता था कि अगर वह सर्दी के लिए अपने भोजन और रहने की व्यवस्था कर लेती है तो उस को तकलीफ नहीं होगी, और वह सर्दी के भोजन और रहने की व्यवस्था कर लेती है लेकिन मक्खी अभी भी गायन और गुनगुनाने में व्यस्त थी।

जब सर्दियां आई तो चींटी ने सर्दी से बचने के लिए जो घर बनाया था उसमें अपना आवास लिया और मक्खी सर्दियों में मारी गई।

नैतिक शिक्षा-यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि भविष्य में जो भी चुनौती आई उसका सामना करने के लिए तैयार रहो।

7. प्यासे कौए की नई कहानी

यह कहानी एक कौए की है जो बहुत प्यासा है। वह पानी की तलाश में इधर-उधर घूमता है। तो उसे पानी से भरा हुआ एक मटका दिखता है। मटके के पास जाने पर उसे पता चलता है कि मटके में पानी थोड़ा कम है। और वह पानी के स्तर तक अपना मुंह नहीं पहुंचा सकता। तभी उसने अपनी चतुराई दिखाते हुए पानी के मटके में कंकड़ डालने स्टार्ट कर दिए। कुछ कंकड़ डालने के बाद में पानी का स्तर ऊपर हो गया और उसने पानी पीकर अपनी प्यास मिटा ली।

नैतिक शिक्षा-यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि अगर हम सच्ची लगन, मेहनत और चतुराई से काम करें तो हम अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं.

8. बिल्ली और बंदर की कहानी

एक गांव में दो बिल्लियां रहती थी। पहली बिल्ली का नाम था लाली और दूसरी बिल्ली का नाम था काली। दोनों बिल्लियां बहुत अच्छी दोस्त थी। दोनों काफी ज्यादा खेलने के बाद में थक गई थी, और उनको भूख भी लग रही थी। दोनों ने प्लान बनाया की वो किसी घर में जाकर खाना खायेंगी। वह एक घर में घुसती है तो उनको एक रोटी मिलती है, दोनों सोचती है कि क्यों ना पेड़ के नीचे जाकर इस रोटी को खाया जाए।

वो पेड़ के नीचे पहुंचती है लेकिन उस पेड़ के ऊपर एक बंदर बेठा था जो बहुत ही ज्यादा समझदार और बुद्धिमान था। बंदर भी काफी ज्यादा भूखा था। रोटी देखकर बंदर तुरंत पेड़ से नीचे उतरकर दोनों बिल्लियों के पास आता है। बिल्लियां रोटी खाने ही वाली थी, तब बंदर उन दोनों को टोकता है। बंदर कहता है कि “एक रोटी को पाने के लिए तुम दोनों ने बराबर मेहनत करी है, तो तुम दोनों को इसको आधा-आधा करके ही खाना चाहिए”

दोनों बिल्लियां बंदर की कही गई बात के लिए राजी हो जाती हैं। बंदर कहता है कि “चलो तुम दोनों में लड़ाई ना हो इसलिए मैं रोटी को आधा-आधा कर देता हूं”। बंदर रोटी को तोड़ता है और दोनों बिल्लियों से कहता है कि “देखो एक हिस्सा थोड़ा सा बड़ा है”। बड़े हिस्से को वह थोड़ा सा खाता है और बिल्लियों से पूछता है कि “अब दोनों बराबर है क्या”। बिल्लियां कहती है कि “दूसरा हिस्सा अब बड़ा हो गया”। बंदर दूसरे हिस्से को थोड़ा सा खाता है और पूछता है “अब बराबर है क्या”।

बिल्लियां कहती है कि “पहला हिस्सा अब बड़ा हो गया है”। बंदर अब पहले हिस्से को खाता है और इस तरह से वह पूरी रोटी खा जाता है।

और बंदर बिल्लियों से कहता है कि यह रोटी कुछ ज्यादा ही गोल थी इस वजह से आधी-आधी नहीं हो पाई। जाओ तुम कोई और रोटी लेकर आओ जो ज्यादा गोल ना हो और इस तरह से बंदर दोनों बिल्लियों को उल्लू बनाकर अपनी बड़ी ही चतुराई से भूख मिटा लेता है।

नैतिक शिक्षासमझदारी और चतुराई इंसान को अपनी मंजिल तक जल्दी पहुंचा देती है।

9. लालची लड़के की कहानी

एक बुजुर्ग आदमी एक रास्ते में तीन झोले लेकर जा रहा था। तभी उसने एक नौजवान लड़के को देखा। बुजुर्ग आदमी ने नौजवान लड़के को कहा कि मेरा सामान बहुत भारी है, क्या तुम एक झोला पकड़ लोगे बेटा। इस पर लड़का राजी हो गया और बुजुर्ग आदमी ने वह झोला लड़के को थमा दिया। लड़के ने उठाने के बाद बुजुर्ग आदमी से कहा कि यह वाकई में बहुत भारी है, तो बुजुर्ग आदमी ने कहा कि इसमें चांदी के सिक्के हैं इसलिए यह भारी है।

थोड़ी दूर चलने के बाद बुजुर्ग आदमी थकने लगा तो लड़के ने कहा कि “आप मुझे अपना दूसरा झोला भी दे दो”। बुजुर्ग आदमी ने कहा कि “मैं दूसरा झूला तुम्हें नहीं दे सकता इसमें सोने के सिक्के हैं” तो लड़के ने कहा “मैं क्या आपको चोर दिखता हूं जो आपके सिक्के लेकर भाग जाऊंगा मैं आपकी मदद करना चाहता हूं। आप बहुत थके हुए हैं अगर आप चाहे तो मुझे बाद में कुछ सिक्के दे देना”। यह सुनकर अपनी तरफ से बुजुर्ग आदमी उसको दूसरा झोला भी दे देता है।

इतने में सामने एक पहाड़ी रास्ता होने के कारण बुजुर्ग आदमी तीसरे झोले को लेकर चल रहा था। वह थक जाता है तो लड़का कहता है कि “यह तीसरा झोला भी आप मुझे दे दो क्योंकि ऊपर पहाड़ी रास्ता है” बुजुर्ग आदमी कहता है कि “यह झोला आप को नहीं दे सकता क्योंकि इसमें बहुत सारे हीरे हैं “। इस पर लड़का कहता है कि “आगे पहाड़ है, आपसे नहीं उठाया जाएगा। अगर मुझे भागना होता तो मैं इन दो झोलों को लेकर ही भाग जाता”।

बुजुर्ग आदमी मान जाता है उसे अपना तीसरा झोला भी दे देता है। पहाड़ी रास्ता होने के कारण लड़का पहाड़ पर चढ़ जाता है, लेकिन बुजुर्ग आदमी से बहुत धीरे-धीरे चढ़ा जा रहा था। पहाड़ पर चढ़ने के बाद में लड़के के दिमाग में ख्याल आता है कि क्यों ना मैं तीनों झोलों को लेकर भाग जाऊं क्योंकि भगवान ने मुझे इतनी सारी संपत्ति ऐसे ही तो नहीं दी होगी। इतना सारा धन देने के लिए भगवान ने मुझे चुना है। ऐसा वह सोचता है और उसके मन में लालच आ जाता है और वह वहां से भाग जाता है। और अपने घर पहुंच कर झोलों को खोल कर देखता है।

देखते ही उसके होश उड़ जाते हैं। उन तीनों झोलों में मिट्टी के सिक्के रखे हुए थे। और एक चिट्ठी रखी हुई थी। लड़का चिट्ठी खोलकर पढ़ता है तो उसके एकदम से होश उड़ जाते हैं। दरअसल लड़का वहां के राजा के पास कुछ दिन पहले वाणिज्य सहायक की नौकरी के लिए गया था तो राजा ने उसकी परीक्षा लेने के लिए यह सारा खेल रचा था।

चिट्ठी में लिखा था कि “बेटा मुझे पहले से ही पता था कि तुम एक लालची लड़के हो लेकिन तुम दरबार में झूठ बोल रहे हो या सच बोल रहे हो यह जानने के लिए मैंने यह सारी योजना बनाई” और इस प्रकार से पता चला कि वह बुड्ढा आदमी राजा ही था। चिट्ठी में यह भी लिखा था कि “तुम परीक्षा में पास हो गए हो और अब तुम घर ही रहो”

राजा को वाणिज्य सहायक के लिए एक अच्छा ईमानदार आदमी चाहिए था।

10. राजा की चतुराई कहानी

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